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Friday, July 30, 2010

पाश

धूप की तरह खिल जाना और फिर आलिंगन में सिमट जाना, बारूद की तरह भड़क उठना और चारों दिशाओं में गूँज जाना~ जीने का यही सलीका होता है...प्यार करना और जी सकना उन्हें कभी नहीं आएगा जिन्हें जिंदगी ने बनिए बना दिया....

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