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Sunday, August 8, 2010

क्या कलमाड़ी के हाथ है देश कि इज्जत?

लीजिये साहब कलमाड़ी को बचाने वालों ने नया तर्क तलाश लिया है...
देश की इज्जत खतरे में...
यानी कलमाड़ी जैसे धूर्त न होंगे तो देश चल ही नहीं सकता?
वैसे जो लोग देश की इज्जत पर बट्टे की बात कर रहे हैं वे शायद समझे नहीं कि यह बात वे लोग कर रहे हैं जिनकी कुर्सी खतरे में है, यदि अभी कलमाड़ी चले गए तो खेलों के बाद उन् कि बारी आ जाएगी....
इसलिए कहा जा रहा है अभी कुछ मत कहो और खेल के बाद कलमाड़ी को निपटा देंगे...
सच तो यह है कि अभी उससे तुरंत हटाना चाहिए और games के बाद शीला दीक्सित का नंबर आना चाहिए....रही बात इज्जत कि तो देखते हैं हमारा नंबर कहाँ रहता है सूची में...अब तक मेडल तालिका ने हमें कितना लजवाया है कोई हिसाब देगा?
देश कि इज्जत तो कैमरून साहब बढ़िया से धो और पोंछ गए हैं...बाकी का काम शीला और कलमाड़ी कर ही रहे हैं....
वैसे ऐसे लोगों के हाथ भारत कि इज्जत है ही नहीं...यूँ भी यह इज्जत बढ़ने कि बात होगी कि हम भ्रस्ट लोगों से समझौता करने के बजाये आयोजन बिगड़ जाने दें....

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